तुम्हारे चेहरे का तेज मानो,
पूर्णिमा का चाँद हो तुम,
लिए होंठों पर रहस्यमयी मुस्कान,
किसी खूबसूरत इश्क़ का अंजाम हो तुम।
वफ़ा के बदले वफ़ा दे ऐसा मुस्तफ़ा चाहिए,
शाहजहाँ सा माशूक़ एक दफ़ा चाहिए।
कैसे न रहूँ ख़फ़ा मैं उससे,
वो न सुनता है न समझता है,
अब तल्ख़ लहजा है मेरा,
हर बात पर खून उबलता है,
वो भी बेवजह मुझसे,
हर बार लड़ता और झगड़ता है।
उम्र भर रहूँ तुम्हारी आभार प्रिय,
तुमसे ही मेरा संसार प्रिय,
तुम हो मेरी हर हसीन सुबह,
मैं तुम्हारी रंगीन शाम प्रिय।
मत धर्मों का कारोबार करो,
न मार-काट का व्यापार करो,
गिराओ अस्त्र, उठाओ फूल,
न लहू-लुहान संसार करो,
बनो इंसान, सबको लगाओ गले,
न हिंदू न मुसलमान करो।
प्यास ना बुझे तोअपना ही क़सूर समझना,
हमें तो तिश्ना-लबों कोशरबत पिलाने की आस थी।
ग़म मत करनाख़्वाब पूरे ना हो तो,
पास होती तो तुम्हेंजन्नत दिखाने की आस थी।
एक शख़्स है आजकल चर्चे में,
शायद इंक़लाब कर दिया,
सुना है, शहर की एक खूबसूरत लड़की
को बर्बाद कर दिया।
“ अंजलि में लिए वो अँगूठी,
कभी अँगूठी तो कभी अनामिका को निहारती रही,
तुम्हारे लौट आने की आस में,
प्रतिदिन स्वयं को संवारती रही। ”
“ निर्लज्ज वह मनुष्य, झूठा प्रेम,
हमेशा मन में उसके छल रहा,
वह नर है, मेरे यौवन पर हमेशा उसका बल रहा,
आंसुओं में दर्द मेरा निरंतर गल रहा,
मेरे अंतर्मन में प्रतिशोध का अनल उसके लिए पल रहा।”
“ स्त्री कम वह सामान ज़्यादा है
गुनाह कम पर उसके प्रमाण ज़्यादा है
कमरे में बंद रहना उसका धर्म बताया जाता है
शायद गलती उसकी है की, उसके अरमान ज़्यादा है। ”
“ इस अदा पर कौन न मर जाए ख़ुदा,
घायल कर दे और हाथ में ख़ंजर भी नहीं। ”
“ वक्त – बेवक्त गुफ़्तगू किया करो,
वो रिश्ते खत्म हो जाते हैं जिनमें बातचीत नहीं होती। ”
“ यूँ आँखे जो दिखा रहे हो,
किस बात पर इतरा रहे हो,
जब हमें तुमसे इश्क़ ही नहीं,
फिर किसको जला रहे हो। ”
“ छोड़ो काम, थोड़ी शरारतें करो,
अपनों से थोड़ी बातें करो,
क्यों करते हो ख़्याल खुदख़ुशी का,
कभी खुद से ख़ुशी की बातें करो। ”
“ क्या ईद का चाँद, क्या दिवाली के दीये,
सबने देख लिया होगा ईद का चाँद,
हम आज भी तरसते हैं अपने चाँद के लिए। ”
“ आज महीनों बाद वक्त मुस्कुराया है,
फ़ज़ा में ईद का चाँद जो नज़र आया है। ”
“ तहज़ीब मर्दों में नहीं,
और प्रताड़ित औरत होती है। ”
“ जिसने देश की नींव रखी,
अब उसी के पाँव काट दिए,
मजदूरों से ही वसूल कर,
उसने जमींदारों में बांट दिए। ”