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शायरी

Love/प्यार

करते हैं हम दिल-ए-दीदार आपका…

जुगनू की रोशनी में करे बातें प्यारी-प्यारी,
यूँ ही मुस्कुराती रहे ये जोड़ी हमारी,
तुम मेरे सर का ताज बनो,
मैं बनूँ होंठों की हंसी तुम्हारी।

कौन सुनता मेरी बातों को,
कौन झेलता मेरी आदतों को,
नसीबों वाली हूँ जो तुम मिले,
वरना समझता कौन मेरी जज़्बातों को।

जो तुम आए मेरे जीवन में,
भर गयी ख़ुशियाँ मेरे दामन में,
कैसे करूँ मैं धन्यवाद तुम्हारा,
नहीं तुम सा कोई इस जमाने में।

आ बैठ मेरे रूबरू कुछ गुफ्तगू करें,
कुछ मैं भी सुनाऊँ कुछ तू भी कहे,
कहीं खोयी उस इश्क़ की जुस्तजू करें।

मेरी जुल्फों से खेलने की ख़ता की तो सुन लो,
अपने इश्क़ में कैद कर लूँगी।
मेरी मुस्कान पर मत जाना मेरे जाना,
एक बार कैद हो गए तो उम्र भर के लिए, अपने
जिस्मों में भर लूँगी।

वो इश्क़ हमारा मान गए,
देर सही, हमें पहचान गए,
हमारी चुप्पी ने उन्हें इतना सताया,
वो ख़ामोशी पढ़ना जान गए।

हमने तो शौक से इश्क़ किया था,
न जाने कब तुम मेरे शौक बन गए।

करते हैं हम दिल-ए-दीदार आपका,
हुस्न-ए-इश्क़ ऐतबार आपका,
रातों को तो बख्स दीजिए ज़ालिम,
ये माशुकाना दिल नींदों में भी करता है इंतजार आपका।

मीलों दूर एक पैग़ाम भेजा है,
अपनी शिद्द्त का अंजाम भेजा है,
हमने भी की थी ख़ुदा से मुहब्बत की नुमाइश,
तभी तो ख़ुदा ने आप सा माशूक़ हमारे नाम भेजा है।

हरफ़ हरफ़ तुझे लिखती हूँ,,
आयतों में तुझे पढ़ती हूँ,,
लोग उम्र लगा देते हैं ख़ुदा को ढूंढने में,,
मैं तुझमें ही मेरा ख़ुदा देखती हूँ।

मेरी ज़िन्दगी दो पन्ने की किताब है, जिसके पहले पन्ने पर मेरा और दूसरे पन्ने पर तुम्हारा नाम है।।

अरसों बाद फिर से प्यार आया है,
एक और बार उल्फ़त का ख़्याल आया है,
इस टूटे दिल को न जाने कैसे,
आज फिर उसपे ऐतबार आया है।

कहनी तो बातें बहुत हैं,
लब्ज़ कहाँ से लाऊँ।
करनी तो मुलाकातें बहुत हैं,
वक़्त कहाँ से लाऊँ।
दिल में तो ज्ज्बातें बहुत हैं,
पर तुम्हें कैसे बताऊँ।

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