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शायरी

यादें

हसीन थी वो मुलाकातें…

उस रात को अब जमाना हो गया,
वो गली भी अब बेगाना हो गया,
कभी हमारे प्यार के चर्चे हुआ करते थे,
आज वो चन्द पन्नों का फ़साना हो गया।

शौक तो हमारे भी बहुत थे बचपन में,
पर कमबख्त बचपन ही चला गया।

दर्द में तन्हाई में याद तेरी आती है,
बीते लम्हों की कश्क बार बार दोहराती है,
जर्रा जर्रा डूबा है इस क़दर आपकी मोहब्बत में,
की आपके बिना ये जिस्म बेज़ान हो जाती है।

अश्क-ए-गम बहुत से बहाए
हमने उनकी याद में
पर अल्लाह-ए-मौला तुझसे यही फ़रियाद है,
ख़ुशी उन्हें सारी मिले इसी क़ायनात में।

हसीन थी वो मुलाकातें…
वो क़समें वो वादे..
वो प्यार भरी बातें…
आपकी बाहों में वो जन्नत सी राते।

हम उनकी याद में सारी रात तड़पते हैं..
वो अपने आशियाने में ठंडी आहें भरते हैं…
तक़दीर तो देखो हमारी,
हम रोते हैं बिलखते हैं..
और वो मौज़ करते हैं।

वो क़यामत की रात थी,
अज़ीब क़ायनात थी,
जब सबने मुझे छोड़ दिया था,
ग़म तब भी मेरे साथ थी।

15 replies on “यादें”

रोते-रोते थक कर जैसे, बच्चा कोई सो जाता है I
हाल हमारे दिल का अक्सर वैसा ही हो जाता है I

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