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शायरी

Words of broken heart

दे मौत अपनी हाथों से और मुझे आबाद कर।

तुम्हारी यादों का मेला लगा रखा है,
तुम आओ या न आओ,
हमने तुम्हारे आने की खबर,
पूरे शहर में फैला रखा है।

जब महफ़िल तन्हाई बन जाती है,
मुस्कान आँशु बन जाता है,
तुम क्या जानो वो दर्द,
जब मुहब्बत ही दुश्मन बन जाता है।

हो नफ़रत मुझसे अग़र तो कुछ इस तरह बरबाद कर,
दे मौत अपनी हाथों से और मुझे आबाद कर।

इक यही इल्तिजा है तुमसे
हुआ न करो यूँ ख़फा तुम हमसे
दो सज़ा बेशक हमें
पर बात तो किया करो हमसे।

रवानी इश्क़ या मसरूफ़ मोहब्बत की कहानी लिखूँ,, अपने जज़्बात लिखूँ या हालात लिखूँ, लिखूँ क्या ये बता दो मुझे,, कश्मकश ज़िन्दगी की या ये ज़िन्दगानी लिखूँ।।

हमने सारी रात आपका ख़्वाब सजाया था..
मुहब्बत समझ कर दिल में बसाया था..
अंदाजा न था रुख़ इस कदर बदल जायेगा..
गुस्ताख़ी हमारी जो आपको शौहर बनाया था।

बहुत शिद्द्त से उन्हें प्यार किया था
दिल-ए-आशियानें में दीदार किया था….
उन्हें बेवफ़ा कहें भी तो कैसे,
क़सूर तो हमारा था जो
गुस्ताख़-ए-मोहब्बत बार बार किया था

बहुत प्यार से मुहब्बत की नुमाइश की थी,
हमने भी उल्फ़त की गुंजाइश की थी..
मुस्तफ़ा कहते रहे जिन्हें हम,
उन्होंने ही मेरी तबाही की साज़िश की थी…

उल्फ़त के अफ़साने हम किससे कहें,
उम्र भर जुल्मो-सितम सहते रहें..
इतनी सी मुहब्बत की इल्तिजा की थी,
वो क़सूर समझकर हमें रुसवा करते रहें…

ताउम्र बेवज़ह हम मुस्कुराते रहे..
दर्द-ए-गम हम उनसे छुपाते रहे
जिन्हें लब्ज़ तक पढ़ना नहीं आया…
उन्हें हम ख़ामोशी समझाते रहे…

ये मोहब्बत बड़ी अजीब है
न हो तो ज़रूरत लगती है,
हो जाए तो खूबसूरत लगती है,
अरे हकीकत तो उनसे पूछो जिनका दिल टूटा है,
ये मोहब्बत बस मतलब से मतलब रखती है।

कभी ग़म तो कभी मुसर्रत में पीती हूँ,
कैसी है ये मेरी आप बीती,
ये जवानी भी मैं मैखाने में जीती हूँ।

उसने हमसे दगा किया था,
हमने खुद को सज़ा दिया था ,
इश्क़ के जाल ने हमें ऐसे उलझा दिया था ,
बेवज़ह अपनी ज़िंदगी हमने अपने हाँथो से तबाह किया था।

वो कुत्तों की तरह भौंकते रहे,
हम भी ख़ामोशी से देखते रहे।
वो जब काटने को दौड़े,
हम और करीब जाकर ठहरे।
वो दुम दबा कर भागे, डरते और घबराते,
हमने भी रास्ता मोड़ लिया, चल दिए हँसते और मुस्कुराते।

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