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कविता

ज्ज्बातें….

मेरे एहसास में तुम हो,
मेरे हर सांस में तुम हो,
मेरे दिल की जज्बात में तुम हो,
मेरे जुबां से निकली हर बात में तुम हो।

मुझे था जिसका इंतजार वो मेरे पास आया,
मुझे मिल गया तेरा साया,
जब तू मेरे पास आई,
मेरे दिल से ये आवाज आई,
यही है तेरी परछाई,
जिसके लिए बैठी थी तू अब तक आस लगाई।

अब तक था यह सब सपना,
पर अब यह सपना हो गया अपना।
जब मैने उसे अपने दिल की बात सुनाई,
तब उसकी तरफ से हाँ की आवाज आई।
अब आखिरी ख्वाहिश है तुमसे यही,
न करना मुझसे कभी बेवफ़ाई,
क्योंकि यही डर मुझे हमेशा सताई।

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