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कविता

बनकर चाँद तुम आ जाना

एक अरसो बाद ज़हन में मेरे, 
उमर परा है प्यार बहुतेरे,
मेरे मन की प्यास बुझा जाना,
मेरी हर तलब मिटा जाना,
कुछ मीठी याद बना जाना, 
मुझे जन्नत भी दिखला जाना,
है चाहत प्यार जताने की,
ताउम्र ज़िंदगी बिताने की,
तुम्हारे गुलसन को महकाने की,
अल्हर बन तुममें समाने की,
मेरे हर अरमान सज़ा जाना,
रहनुमा बन राह दिखा जाना,
मेरी हर उलझन सुलझा जाना,
बन कर राजकुमार तुम आ जाना,
मेरा प्रेम, साँस, एहसास, हो तुम,
चाँदनी का रात हो तुम,
तुम्हें भूलूँ भी तो कैसे,
मेरी जात, बात, जज़्बात हो तुम,
वो यादें लौटा जाना,
फिर हसीन रात बना जाना,
फिर से प्यार बरसा जाना,
सारी कसर मिटा जाना,
बनकर चाँद तुम आ जाना – २ ।

14 replies on “बनकर चाँद तुम आ जाना”

AMAZING !! Fantastic choice of words. I’m amazed how well you combine excellent diction with perfect rhythm n I wish I could write like you.

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