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कविता

मेरे हमसफ़र मेरे हमकदम …..

मेरे हमसफ़र मेरे हमकदम ,
तुम्ही मेरी जिंदगी हो सनम …किस्मत की लकीरों में ,
आँखों से बहती नीरो में ,
बस गये हो तुम ऐ मेरे हमदम
बन के मुसाफिर मेरी राहों में आना,
ता उम्र तुम्हारा साथ निभाना ,
बस इतनी ख्वाहिस है तुमसे सनम,
ऐ खुदा कर मुझपे रहम ,
कर दे तू बस इतना करम,
की सिर्फ तुम मिलो मुझे हर जनम, 
कैसे कहूँ तुमसे दिल की दास्ताँ,
तुमसे मिला मेरे जज्बातों को रास्ता ,
और इस तरह हुआ मेरा तुमसे वास्ता,
मै और तुम हो गये हम,
मानो एक दूजे के लिए बने हो हम,
रहना पूरी ज़िदगी मेरे पास ,
देना हर वक़्त मेरा साथ ,
……….तुम्हे मेरी कसम ………..
..तुम्हे मेरी कसम …………….
……..मेरे हमसफ़र मेरे हमकदम ….

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