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कविता

क़ाश मेरे पास भी कोई होता..

क़ाश मेरे पास भी कोई होता
मेरे साथ मेरा एहसास भी कोई होता
ये मेरे दर्द भी थोड़े कम होते
ऐसे अपनो के दिए ज़ख्म न होते
वो भी मेरी क़दर करता मैं भी उसका ख़्याल रखती
वो मेरी ख़ातिर जीता और मैं उसपर मरती
ज़िन्दगी में इतने गम न होते, मेरी आंखें कभी नम न होती
मैं भी उसकी साँस होती, साये की तरह साथ होती
उसका दिल मेरे पास होता, मैं उसकी धड़कन होती
होते हमारे ख़्वाब भी सुनहरे
प्यार होते समुन्दर से भी गहरे
कोई तूफ़ान भी हमे अलग न कर पाता
बेवफ़ाई भी इस क़दर डर जाता
चाह कर भी कोई हमे दूर न कर पाता
क़ाश मेरे पास भी कोई होता
मेरे साथ मेरा एहसास भी कोई होता।।

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