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कविता

है तमन्ना यही

है तमन्ना यही,
तुम देखो मुझे हर ख़्वाब में।
है तमन्ना यही,
तुम्हें लिखूँ अपनी ज़िंदगी की किताब में।

है तमन्ना यही,
तुम चलो मेरे साथ मेरी साँसों की तरह।
है तमन्ना यही,
तुम बहो मेरे साथ,
मेरी लहू की तरह।

है तमन्ना यही,
तुम मेरी हर शायरी का अल्फ़ाज़ बनो।
है तमन्ना यही,
जिसे मैं पढ़ती रहूँ, तुम वो किताब बनो।

है तमन्ना यही,
जिसका नशा कभी ना उतरे,
बन वो शराब तू।
है तमन्ना यही,
बन मेरी ज़िंदगी का आफ़ताब तू।

है तमन्ना यही,
चाय की तरह हो इश्क़ तुमसे बेशुमार।
है तमन्ना यही,
तुम बनो मेरे होंठों पर लगे रहने वाला सिगार।

है तमन्ना यही,
तुम लिखो अपने होंठों से मेरे जिस्म पर मुहब्बत।
है तमन्ना यही,
मुझमें खो जाने की हो तुम्हारी हसरत।

है तमन्ना यही,
ताउम्र मेरा दिल रहे तेरे लिए बीमार।
है तमन्ना यही,
हो ज़िक्र हमारी मोहब्बत का, लोगों के शेर में बार-बार।

है तमन्ना यही,बस तमन्ना यही।

30 replies on “है तमन्ना यही”

I do believe all the ideas youve presented for your post They are really convincing and will certainly work Nonetheless the posts are too short for novices May just you please lengthen them a little from subsequent time Thanks for the post

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