Categories
कविता

तुमने मेरे लिए क्या किया ?

हमने तुम्हारे लिए क्या नहीं किया,
वक़्त का खेल समझूँ या किश्मत का,
अब भी पूछते हो हमने तुम्हारे लिए क्या किया।

अब व्यर्थ की व्याख्या का क्या फायदा,
पहले की ही तरह सह लिया करेंगे थोड़ा और ज्यादा।

आज मालूम हुआ,
उस दिन रोता देख भी तुम क्यूँ न आये,
मेरे गहरे जख्म पर भी क्यूँ नहीं मरहम लगाए।

तुम्हें मुहब्बत नहीं या हमारा इश्क़ कम है,
जाने ज़िन्दगी में क्यूं इतने गम है,
लाख कोशिशें की, आँखे फिर भी नम है।

शायद मेरी ख़ामोशी ही मेरे जख्मों का मरहम है।

30 replies on “तुमने मेरे लिए क्या किया ?”

Tujhe pass se to dekha nahi
Tere bato se hi pyar ho gya
Ek bar hath de diya tumhare hatho me
Tumhe satho se pyar ho gya.

Leave a Reply